दिनांक 26.12.2012 पन्ना बाघ पुर्नस्थापना की तीसरी वर्षगांठ
सर्व
विदित है कि 26 दिसम्बर पन्ना बाघ पुर्नस्थापना में एक अहम दिन है। इसी दिन जब 3
वर्ष पहले वर्ष 2009 में पन्ना टाईगर रिजर्व में पुर्नस्थापित नर बाघ टी-3 को उनके
450 कि.मी. से अधिक पन्ना टाईगर रिजर्व के बाहरी क्षेत्रों की यात्रा को समाप्त करते
हुए उन्हें पेंच टाईगर रिजर्व से पकड़ने के 50 दिनों के अन्तराल में तीरी बार बेहोश
करते हुए पन्ना में लाकर स्वच्छंद विचरण हेतु छोड़ा गया था। उसी दिन को पुनः स्मरण
करते हुए पन्ना परिवार अपनी ऊर्जा को दुगुना-तिगुना करता है।
पन्ना टाईगर रिजर्व की बाघ पुर्नस्थापना योजना का एक बार पुनः पुनरावलोकन करना आज
के लिए आवश्यक है, ताकि इतिहास के पन्नों से सही सबक ले सकें और दुगुने उत्साह के
साथ अग्रसर हो सकें। मार्च 2009 में पहली बार 02 बाघिन (टी-1 व टी-2) बांधवगढ़ एवं
कान्हा से लाई गई थीं। परन्तु इन दोनों बाघिनों के पन्ना में प्रवेश करने से पहले
यहां के स्थानीय नर बाघ पन्ना से बाहर निकल चुके थे। ऐसी स्थिति में जब तक इन बाघिनों
के साथ एक नर बाघ का पन्ना टाईगर रिजर्व में प्रवेश नहीं होता तब तक बाघ
पुर्नस्थापना योजना के सही परिणाम निकलना असंभव था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए
बाघ पुर्नस्थापना योजना की सम्पूर्ण योजना बनी, जिसके तहत कुल 06 बाघ (02 नर एवं 04
मादा- पूर्व में लाई गई 02 बाघिनों को सम्मिलित करते हुए) लाना था। इन तीन वर्षों
के बाद आज की स्थिति में योजना में प्रस्तावित 06 में से 05 बाघों को पन्ना टाईगर
रिजर्व में पुर्नस्थापित किया जा चुका है।
जब
नर बाघ आया, वह नवम्बर के अन्तिम सप्ताह में पार्क के क्षेत्रों को छोड़ कर दक्षिणी
दिशा में लगभग 450 कि.मी. से अधिक चलता रहा। पार्क प्रबन्धन दृढ़निश्चयी होकर उसका
पीछा किया। इस बाघ को सफलतापूर्वक 25 दिसम्बर 2009 को पन्ना लाया गया एवं 26
दिसम्बर 2009 को उसे स्वच्छंद विचरण करने हेतु मुक्त किया गया। पार्क प्रबन्धन की
अपनी तकनीकीयुक्त मेहनत के फलस्वरूप टी-3 एवं टी-1 की मुलाकात दिसम्बर 2009 के अन्त
से पहले हो गई एवं टी-1 ने मध्य अप्रैल 2010 को 04 बच्चों को जन्म देकर बाघ
पुर्नस्थापना योजना का पहला सफल परिणाम दुनियां को दिखाया। तत्पश्चात टी-2 ने भी 04
बच्चों को अक्टूबर 2010 में जन्म देकर पन्ना बाघ पुर्नस्थापना योजना को सफल प्रजनन
के हिसाब से मिशाल बनाया।
अब तक हुए कार्यक्रम में पूर्ण रूप से जंगली बाघों की पुर्नस्थापना पन्ना टाईगर
रिजर्व के अन्तर्गत थी। टी-4 एवं टी-5 को यहां पर लाकर मानव प्रयासों से बडे किये
गये महज 15 दिन के शावकों को दोबारा जंगली बनाना था। न तो ऐसे कार्य बाघ के सम्बन्ध
में दुनियां में इससे पहले कहीं हुआ, न ही इस दिशा में स्पष्ट सोच विकसित था। इस
प्रकार टी-4 को मार्च 2011 के अन्त में पन्ना टाईगर रिजर्व में किया गया विमोचन बाघ
संरक्षण में और एक ऐतिहासिक दिन है। टी-4 को जंगली बनाने की दिशा में पन्ना टीम पूरी
भीषण गर्मी के मौसम में अपने तन-मन से कार्य करते हुए उसे जंगली बनाने में सफल रही।
जिसमें टी-3 का योगदान अत्यन्त अधिक रहा। टी-4 ने अपना किल स्वयं करना टी-3 से सीखा
एवं पन्ना के जंगलों के क्षेत्र को अपनाया। टी-3 की मुलाकात का परिणाम नवम्बर 2011
में तब सफल साबित हुआ, जब टी-4 के द्वारा दो नन्हें शावकों को जन्म दिया था। जो
स्वयं अनाथ थी, महज 15 दिन की बाघिन थी, जिसकी मां मृत्यु को प्राप्त कर चुकी थी,
यह सपने से भी बाहर की बात है कि एक अनाथ बाघ शावक, नन्हें बाघ के शावकों की जंगली
बन कर मां बनेगी। परन्तु टी-4 की किस्मत ही ऐसी थी जो इस प्रकार के असंभव कार्य को
संभव कर दिखाना था। इसके साथ टी-5 को भी सितम्बर 2011 में विमोचन करते हुए उन्हें
भी जंगली बनाया गया।
आश्चर्य
की बात यह रही कि टी-1 ने फरवरी 2012 में पुनः अपने 04 नन्हें शावकों को जन्म दिया।
इसी क्रम में टी-2 के द्वारा भी 03 शावकों को अप्रैल 2012 में जन्म दिया। इस पूरे
कार्यक्रम में टी-1 के 02 शावक एवं टी-2 की 01 अर्ध वयस्क बाघिन की मृत्यु हुई। वहीं
टी-1 ने एक शावक को त्याग दिया। इस प्रकार आज की स्थिति में पन्ना बाघ पुर्नस्थापना
योजना में टी-1, टी-2 एवं टी-4 के अलग-अलग लिटरों कुल 17 शावकों का जन्म हुआ, जिसमें
से आज की स्थिति में 13 जीवित पार्क में विराजमान हैं। सफल रूप से पुर्नस्थापित 05
बाघों को मिला कर आज की स्थिति में पन्ना टाईगर रिजर्व में कुल बाघों की संख्या 18
है। यह परिणाम महज 03 वर्ष में हासिल हुआ है। पन्ना टाईगर रिजर्व के पक्ष में जन
समर्थन प्राप्त करने हेतु पन्ना नेचर कैम्प लगातार विगत 03 वर्षों से जारी है। सभी
वर्गों में आम एवं खास जन से लगातार संवाद जारी है। पार्क के कारण रुके हुए कुछ
पन्ना से सम्बन्धित विकास कार्यों के रास्ते सुगम बनाने का भी प्रयास जारी है व जारी
रहेगा। सफलतम बाघ पुर्नस्थापना योजना की तीसरी वर्षगांठ मनाते यह कोशिश की जाती है
कि हिनौता पर्यटन परिसर में स्थित टेण्टेड एकमण्डेशन अब पर्यटकों के लिए 01.01.2013
से उपलब्ध कराया जायेगा। यहां पर आज की स्थिति में 12 बेड उपलब्ध हैं, जिनका शुल्क
न्यूनतम होगा। पन्ना टाईगर रिजर्व की ओर से इस व्यवस्था का लाभ उटाते हुए पन्ना
टाईगर रिजर्व का भ्रमण करें ताकि हिनौता गांव के रोजगार की बढ़ोत्तरी में आपका
योगदान हासिल हो।
विगत 03 वर्ष में बाघ पुर्नस्थापना को स्थानीय स्तर पर जो समर्थन मिला है, उसके लिए
इस प्रेस नोट के माध्यम से साधुवाद करते हुए, नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ,
’’ जय हिन्द, जय भारत ’’
दिनांक -
25.12.2012
Field Director
Panna Tiger Reserve
Panna - 488001
Madhya Pradesh
Ph - 07732-252135 (off), 252120 (Fax)
email:
fdptr82@gmail.com
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